Monday, September 04, 2023

Itni mushkil duniya mein

गीता हूँ कुरान हूँ मैं 

मुझको पढ़ इंसान हूँ मैं 


ज़िंदा हूँ सच बोल के भी, 

देख के खुद हैरान हूँ मैं 


इतनी मुश्किल दुनिया में 

क्यूँ इतना आसान हूँ मैं? 


चेहरों के इक जंगल में 

खोई हुई पहचान हूँ मैं 


क्या मैं, क्या मेरा वजूद? 

मुफलिस का अरमान हूँ मैं 


मुझको खबर है दुनिया की 

बस खुद से अनजान हूँ मैं 


दफन हैं जिस में ख्वाब ही ख्वाब 

ऐसा कब्रिस्तान हूँ मैं 

- poet not known (to me) 


3 comments:

Madhulika Patel said...

बहुत सुंदर,

Madhulika Patel said...

बहुत सुंदर

Madhulika Patel said...

बहुत सुंदर