गीता हूँ कुरान हूँ मैं
मुझको पढ़ इंसान हूँ मैं
ज़िंदा हूँ सच बोल के भी,
देख के खुद हैरान हूँ मैं
इतनी मुश्किल दुनिया में
क्यूँ इतना आसान हूँ मैं?
चेहरों के इक जंगल में
खोई हुई पहचान हूँ मैं
क्या मैं, क्या मेरा वजूद?
मुफलिस का अरमान हूँ मैं
मुझको खबर है दुनिया की
बस खुद से अनजान हूँ मैं
दफन हैं जिस में ख्वाब ही ख्वाब
ऐसा कब्रिस्तान हूँ मैं
- poet not known (to me)
3 comments:
बहुत सुंदर,
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर
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