खुशी है या गमों का सिलसिला है
न जाने व्यक्त की मुट्ठी में क्या है
मेरी आँखें लगी हैं आसमानों पर
सुना है आसमानों पर खुदा है
जहां से जब भी खुद को जोड़ता हूँ
मेरे अंदर कहीं कुछ टूटता है
तेरे हिस्से में तेरी मंज़िलें हैं
मेरे हिस्से में मेरा रास्ता है
-poet unkown
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