कुछ ग़म मेरे दिल से सम्हाले नहीं जाते
आँसू भी उन्हें साथ बहा ले नहीं जाते
ग़म हो के खुशी आँखों में आ जाते हैं आँसू
दुख सुख में मेरे चाहने वाले नहीं जाते
ये वक़्त फक्त पाँव के छालों का हैं मरहम
पड़ जाते हैं जो दिल में वो छाले नहीं जाते
एक वक़्त था, पी जाता था सौ ग़म के समंदर
दो अश्क भी अब मुझ से सम्हाले नहीं जाते
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मेरा दिल है और आपकी याद है,
ये घर आज कितना आबाद है
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काश ऐसा तालमेल सकूत व सदा में हो
उसको पुकारूँ तो उसी को सुनाई दे
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शहर में तो रुखसती दहलीज़ तक महदूद है
गाँव में पक्की सड़क तक लोग पहुंचाने गए
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तेरे पास आ के हँसाऊँगा तुझे लेकिन
जाते-जाते तेरे दामन को भिगो जाऊंगा
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And one new one from the poetry group:
मुँह ज़बानी न जताता कि मोहब्बत क्या है
मैं तुझे कर के दिखाता कि मोहब्बत क्या है
कैसे सीने से लगाऊँ कि किसी और के हो
मेरे होते तो बताता कि मोहब्बत क्या है
ख़ूब समझाता तुझे तेरी मिसालें दे कर
काश तू पूछने आता कि मोहब्बत क्या है
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बिछड़ के तुझ से न ख़ुश रह सकूंगा सोचा था
तिरी जुदाई ही वजह-ए-नशात हो गई है
- Tahzeeb Hafi
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अपनी वजह-ए- बर्बादी सुनिए तो मज़े की है
ज़िंदगी से यूं खेले जैसे दूसरे की है
- जावेद अख्तर
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ये किसकी तुम्हें नज़र लग गई है
बहारों के मौसम में मुरझा रहे हो
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वो ना आएं तो सताती है खलिश सी दिल को
वो जो आयें तो खलिश और जवां होती है
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मुझ से मिलने के वो करता था बहाने कितने
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है
सोचते होंगे यही बात ना जाने कितने
तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हें इस से क्या है
भरने वाले हैं अभी ज़ख्म पुराने कितने
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तुम आँखों की बरसात बचाए हुए रखना
कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले
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अच्छा सा कोई मौका, तन्हा सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना तो, बेकार का रोना है
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जो तेरे पास नहीं था ऐ दोस्त,
तुझको दुनिया ने वो क्या देना था
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चंद रिश्तों के खिलौने हैं जो हम सब खेलते हैं
वरना सब जानते हैं, कौन यहाँ किसका है?
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बेसहारों से सहारों की तवक्को मत कर
बादलों से कभी साया नहीं मांगा जाता
जरफ से अपने ज़्यादा नहीं मांगा जाता
प्यास लगती हो तो दरिया नहीं मांगा जाता
मुस्तकल क्यूँ नहीं बस जाते मेरी आँखों में
इन मकानों का किराया नहीं मांगा जाता
एक शब ऐसी भी आती है अँधेरों वाली
जब चरागों से उजाला नहीं मांगा जाता
ना जलायी गई न दफ़्न हुई
एक मय्यत है ज़िंदगी मेरी
I have no idea who the poets are. If you do know, pls comment and I will add.
8 comments:
वाह!! बेहतरीन शायरी
Bahut dhanyavaad!
बढ़िया शायरी ।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ४ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
Bahut bahut dhanyavaad!!!
वाह!!!
लाजवाब👌👌
Dhanyavaad!
अच्छे शेर है। हालांकि पूरी तरह पता नहीं पर शेरों का अंदाज बताता है की ये शायद सभी तहज़ीब हाफी के हैं जो पाकिस्तान के सबसे चर्चित और लोकप्रिय शायरों में से एक हैं। भारत में भी इन्हें खूब सुना जाता है। 🙏🌹🌹🌺🌺
Dhanyawaad!
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