Sunday, February 23, 2025

गद्य कविता: ऐसा ही होना

वो ऐसा ही था। 

तुम्हारी आँखों में गहरे देख कर, तुम में तुम्हें ढूंढता था।  

अगर मिल जाओ, तो दोस्ती कर लेता था।  

ना मिलो, तो कभी तकरार नहीं करता था।  

"मरे हुओं से क्या लड़ना?" 


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