ऐसी मीठी तान सुनावे
कानों में मिस्री घुल जावे
मास जेठ का होवे सीत
हरे अंब को बनावे पीत।
का सखी, कोयल?
न सखी, प्रीत!
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नटखट मन को लगते प्यारे
खेलें सबहूं साथी हमारे!
लगें एक से, पर हैं न्यारे।
उजले मन, पैरहन कारे।
का सखी, टोली?
न सखी, तारे!
*पैरहन - कपड़े
कारे - काले
सबहूं - सभी
न्यारे - नायाब/ unique
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Updated April 17:
तन पर हो तो देव बनाये
सागर में समावे नीर.
नभ में व्याप्त होवे यूं
पूरा नभ बन जावे झील.
का सखी, ओज?
न सखी, नील.
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तन पर हो तो देव बनाये - Both Shiva and Vishnu are characterised by blue - Shiva as Neelkanth and Vishnu as blue-bodied.
ओज - light, प्रकाश, रोशनी
My humble attempt at Mukriyaan.
Mukriyaan are known to be written by Amir Khusro, but were possibly in folk culture earlier also because i remember this format in some classic Sanskrit plays.
5 comments:
क्या बात है,सुदंर अभिव्यक्ति।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह!!!
बहुत ही सुंदर मुकरियाँ।
सुंदर मुकरियाँ ।
की जाना मैं कौन
ऐसी मीठी तान सुनावे
कानों में मिस्री घुल जावे
आभार
सादर
वाह सरस और मधुर कहमुकरियाँ।पर विधा का आधा नाम क्यों?
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