आजकल हास्य लेखन दुनिया के सब से विषम व्यवसायों में है।
अपने जीवन में हास्यास्पद कुछ रहा नहीं, और दूसरों पर हंस नहीं सकते।
किन्तु लेखक जीवन यूं भी विषमताओं से भरा है।
एक लेखक मित्र ने बताया - उदास कविता लिखा करते थे, रिश्तेदार अवसाद के इलाज बताने लगे।
एक और लेखक मित्र की सगाई टूट गई। लड़की वालों ने रेफ चेक कराया और इन महोदय का रोमानी चिट्ठा (blog) पकड़ में आया। लाख समझाया, कि लेखन अपनी जगह है, और जीवन अपनी जगह, पर ऐसे 'गंदे' विचारों वाले लड़के को लड़की देने के मत में वे चाचा लोग बिल्कुल नहीं थे, जो स्वयं ३-४ बच्चों के पिता रह चुके थे। वर्जिन मेरी केवल ईसाई धर्म में ही नहीं हुई हैं। इन चाचा लोगों की मानें तो पूरा भारतवर्ष ही कुंवारा बाप है!
सबसे बड़ी त्रासदी तो ये है कि जब दुनिया के सबसे जोखिम भरे व्यवसायों के बारे में लिखा जाता है, तो लेखक की गणना कहीं नहीं होती। भाई, विवाह संबंध टूट जाना, नौकरी चली जाना, घर वालों से लड़ाई हो जाना, यहाँ तक कि जान पर बन आना, ये क्या कम जोखिम है?
बात हास्य लेखन से शुरू हुई थी, त्रासदी पर समाप्त होती है। अंग्रेजी में क्या कहावत है?
हमारी हंसी में छुपी है हमारी पीड़ा,
हमारे उपहास में हमारा यथार्थ है।
Humour writing is
one of the world’s riskiest professions today.
There is nothing
funny in my life and for political reasons, one cannot laugh at anyone else any
more. No lawyers, no doctors, not even clowns!
But its not just humour writing. Writing, by itself, is an eminently perilous path.
A friend’s poetry was slightly dark. Her relatives started suggesting home remedies for depression. She was cured. Of poetry.
Another friend had to pay a steeper price. His arranged marriage was called off when the girl’s side, as part of routine matrimonial verification, stumbled upon his anonymous erotica blog. The poor fellow tried to explain that writing and living are two different things, but the protective uncles of the innocent girl decided that a boy with such ‘dirty’ thoughts was not suitable for their daughter. These uncles, of course, had sired 3-4 children themselves. Which leads me to believe that virgin birth was not just a concept in Christianity. If these uncles are to be believed, the entire population of India was Immaculately Conceived.
Sigh! We started with humour writing and ended with tragedy. What do they say again?
Our sorrows are hidden in our sweetest smiles.
Our tragedies in our jokes most vile.
No comments:
Post a Comment