कहते हैं कि खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है। ये भी कहते हैं कि चिंगारी से चिंगारी जलती है। ये उन दोनों में से कौन सा है, पता नहीं। पर यह लेख नम्रता जी के लेख से सम्मोहित (उफ्फ़!!!! प्रेरित) हो कर के लिखा गया है।
पति पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं। वे आपस में सखा, मित्र, आदि भी होते हैं। किन्तु हम, अपने पति की शिष्या होना चाहती हैं। उन्हें अपना गुरु बनाना चाहती हैं।
क्यूँ?
क्यूंकि हम उनसे एक विशेष जादुई मंत्र सीखना चाहते हैं।
आइए पहले जानते हैं, इस मंत्र का महात्मय:
यह मंत्र ब्रह्मास्त्र की तरह अचूक और घातक है। यह कभी कार्यसिद्धि में विफल नहीं होता।
महा मृत्युंजय मंत्र आपकी जान बचाए, उस से पहले आपको उसे २१ बार बांचना होगा। किन्तु यह मंत्र एक ही दिन में २१ बार आपकी जान किसी भी प्रकार के संकट से बचा सकता है।
इस चमत्कारी मंत्र का ज्ञान हर बालक को जन्म घुट्टी के समान स्वाभाविक रूप से मिलता है, किन्तु किसी भी कन्या को दहेज के साथ भी बांध कर नहीं दिया जाता।
मंत्र के बोल विशिष्ट नहीं हैं, विशेष है, उन्हें प्रयोग करने की विधि। हर बार, अचूक तरीके से, यह मंत्र हमारे पति द्वारा प्रयोग किया जाता है, किन्तु आज तक, इसका छोटा सा उपयोग भी हम से सफलता पूर्वक न हो पाया।
तो इसलिए, पति नाम की धूनी रमा कर, हम तपस्या में लीन हैं।
जब तक हम इस के उपयोग का भेद जान नहीं लेते, यह तपस्या अखंड रहेगी।
आप सोचते होंगे, क्या है वह मंत्र, और उसका प्रयोग इतना कठिन कैसे हो सकता है।
तो सुनिए, मंत्र केवल ३ शब्दों का है।
आप केवल ३ उदाहरण लीजिए।
१
कार्यालय से फोन । पतिदेव : जी सिर, ८ देशों का प्रोजेक्ट, ४ करोड़ का टेन्डर। मैंने पहले कभी किया तो नहीं है सर, पर आप चिंता मत कीजिए, मैं १५ दिन में सब काम सीख भी लूँगा, और सम्हाल भी लूँगा।
..
इस से पहले.. नहीं सर १ करोड़ से ऊपर का प्रोजेक्ट किया तो नहीं है, पर आप चिंता न कीजिए सर, सब हो जाएगा। जी सर। आपको भी।
२ मिनट बाद हम इन्हीं विद्या विशारद से कहते हैं, “सुनिए जी, ज़रा २ बर्तन धो देंगे, मुझे छोंक लगाने को चाहिए?”
और ये निकला महामंत्र: “मुझे बर्तन धोने कहाँ आते हैं? मुझसे कैसे होगा?”
*****
२.
घर पर शादी है। पतिदेव: माँ, आप चिंता न करें, मैं केटरिंग वालों का सब हिसाब किताब देख लूँगा। सब चीज़ का ध्यान रखूँगा, आटा , चावल, तेल, मजाल है, जो एक भी चीज़ खराब करें!
१५ मिनट बाद हम पतिदेव से कहते हैं, “सुनो, ज़रा देखना बच्चे इस साड़ी पर कूदें नहीं, बड़ी मुश्किल से प्रेस करवाई है! मैं बाल बनवा कर आती हूँ।”
“मैं? मुझ से कैसे होगा?”
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३.
पार्टी में पतिदेव पास वाली भाभीजी को इम्प्रेस करने के चक्कर में किवदंती सुनाते हैं, “अरे स्कूल में तो मजाल है कभी १०० से नीचे नंबर आ जाते भाभी जी। टीचर तक को खुला चैलेंज दे कर आते थे। आधी रात को उठा कर पूछ लीजिए कान्सेप्ट, बिल्कुल सटीक याद रहता था। “
अगले दिन उन्हीं पतिदेव से हम: “सुनिए, बिट्टू कब से कह रहा है उसे कम्पाउन्ड इन्ट्रेस्ट समझ नहीं आ रहा। एक बार बैठ कर समझा देंगे आप?”
पतिदेव (आश्चर्यचकित): मैं? मुझ से कैसे होगा?
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अब प्रिय बहनों, आपकी धीमी मुस्कान और सहमति में हिलता सर बताते हैं कि यह महामंत्र विश्वव्यापी है। इसके उपयोग अनेकानेक हैं। एक बार इसे प्रयोग करने की विधा सीख लेने पर, ऐसा कोई संकट नहीं जिस से बचा न जा सके।
अत: सखियों, हम अपने पति की शिष्या बनना चाहते हैं।
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विद्या सीख कर करेंगे क्या?
बस, जैसे अंडे की टोकरी खरीद कर बच्चों को डांटने का सफर ख्यालीराम जी ने कुछ ही क्षणों में पूरा कर लिया था, वैसे ही, लेख लिखते ही हम सोचने लगे, कि इस अचूक विद्या के प्राप्त होने पर हम उसका प्रयोग किस प्रकार करेंगे।
ये देखिए:
१.
पति: सुनती हो, आज मां और दीदी आएंगे, उन्हें ज़रा शॉपिंग कराने ले जाना प्लीज। और देखो, पैसे उन्हें मत देने देना। सब जगह तुम्हीं देना।
हम (बड़ी-बड़ी आँखें और बड़ी खोल कर): मैं? मुझ से कैसे होगा?
२. पति: सुनती हो, आज आते हुए, बाजार से ज़रा ये सब समान ले आना।
हम : मैं? मैं घर छोड़ कर कैसे जाऊँगी? मुझ से कैसे होगा?
हम: मैं? मुझ से कैसे होगा?
४. सासु माँ: बेटा, मैंने शालिनी आंटी से कह दिया है, कि दही भल्ले तो जैसे मेरी बहू बनाती है, कोई बना ही नहीं सकता। अगले हफ्ते उनकी किटी पार्टी पर दही भल्ले मेरी ओर से होंगे।
मैं: मुझ से कैसे होगा?
५. अर्रे! रसोई में लाल मिर्च नहीं है!
हम: देखो जी, रसोई रसोई में १५० चीजें हैं, साबुन तेल आदि में और १०, बच्चों कि किताब कॉपी ४० और, ट्यूइशन का हिसाब, ४ और, बच्चों के एक एक कपड़े, जूते, जुराब की हालत, मरम्मत, लोकेशन, एक एक होमवर्क का स्टैटस अपडेट, करंट लोकेशन, कुल मिला कर, ३ ००- ५ ०० चीजों का हिसाब, दिमाग ही दिमाग में रखना! मुझ से कैसे होगा?
६. अगले हफ्ते दीदी के बेटे का बर्थडे है। बाजार जा कर ज़रा पार्टी का समान ला कर दीदी के घर पहुंचा देना। और हाँ, अपनी ओर से भी महंगा सा गिफ्ट ले आना। लगना चाहिए कि मामा ने दिया है!
हम : पसंद दीदी की, भेंट तुम्हारी! मुझ से कैसे होगा?
७. मम्मी, मम्मी, देखो ये सवाल नहीं आ रहा।
हम: बेटा, स्कूल छोड़े उतने ही साल हमें हुए जितने पिता जी को। उन्हें याद नहीं है, न वे पढ़ के समझ सकते हैं। तो, मुझ से कैसे होगा?
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