प्रेम में
'प्रियतम' से 'प्रिय' हट जाने के बाद
रह जाता है
केवल तम।
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प्रेम में डूबे लोग
सामान्य डूबे लोगों की तरह
छटपटाते नहीं
वे सांस लेना
स्वतः छोड़ देते हैं
और यूं
मरते हैं।
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अतृप्त प्रेम
प्रेत बना देता है
प्रेमी को
और प्रिय के हृदय को
पाषाण
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1 comment:
प्रेम यदि वह वास्तव में प्रेम है तो कभी अतृप्त नहीं होता, प्रेम में होना ही तो तृप्त होना है
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