Friday, October 24, 2025

Book Review: D se Dukh Badi Ee se Ishwar by Payal Rathore


कविता प्राय: कवि हृदय का हिस्सा होती है। 

अपने हृदय के हिस्से को  सजा कर अनजान लोगों को दिखाना - यही है कवि होने का यथार्थ। कुछ कविताएँ पढ़ते हुए ये बात प्रत्यक्ष हो जाती है। यह पुस्तक ऐसी ही है। 

ख्याल नए हैं, और अंदाज़ खूबसूरत। कविताएँ सारगर्भित हैं, और मार्मिक भी। फिर भी पढ़ने में 'भारी' नहीं लगतीं। यही इन कविताओं की खूबी है - मन की बात भी कहती हैं, सोचती भी हैं। 

हर बार, समीक्षक की आवाज से अधिक स्पष्ट कवि की अपनी आवाज होती  है। ये कविताएँ अपनी बात स्वयं कह सकती हैं। इन्हें कहने देते हैं। 


यदि कोई तुम्हारे लिए 

कविताएँ लिखता है 

तो या तो तुमने 

उसे बहुत अधिक प्रेम दिया है 

या बहुत अधिक दुख। 

********* 

कोई भी दुख 

कहने के लिए नहीं है 

कह कह कर 

एक चिंगारी जितने दुख को 

तुमने अलाव बना दिया 

और अब तुम्हें शिकायत है कि 

संसार, इस पर हाथ सेंक रहा है। 

****** 

कितना कुछ है न 

भुलाने को इस संसार में 

... 

मैं 

तुम्हें ही क्यूँ भुलाऊँ? 

**************** 

एक वक़्त के बाद 

एक फूल 

एक पूरा मौसम हो जाता है 

और एक नौका, नदी। 


प्यार जानता है, 

किस तरह याद आना है। 

****** 

फूलों से भर गया है 

घर के अहाते में खड़ा नीम 

झूमता है तो कितना सुंदर दिखता है 

पिता जब मुस्कुराते हैं 

ठीक ऐसे ही दिखते हैं 

******* 

एक खोया हुआ आदमी 

संसार को 

सहे समय में सही पते पर पहुँच गए आदमी से 

अधिक जानता है 

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तुम्हारे दुख से 

बादल बनते रहे 

मेरे दुख से बारिश 


हम कभी साथ नहीं मुस्कुराये 

क्या पता 

इंद्रधनुष बन जाता 

******* 

कैसी त्रासदी है 

हमें प्रेम को 

एक उत्सव की भांति 

स्वीकारना चाहिए था 


हमने इसे, किसी 

अपराध की भांति स्वीकारा 

*********** 

यूं मत लिखना 

जैसे किसी नदी में 

बहा दी हो 

हाथ की माटी 


किसी कागज़ पर कुछ लिखना 

तो लिखना यूं 

जैसे किसी पेड़ को 

उसके फूल लौटा रहे हो 

******* 

प्रेम के लिए 

दी गई स्वीकृति 

प्रेम से पहले 

पीड़ा के लिए दी गई 

स्वीकृति है 

******* 

यहाँ सभी के इंद्रधनुष 

अधूरे हैं 

******* 

संसार की सारी औरतें 

खोई हुई गुड़िया हैं 

********** 

नदियां सूख गई हैं 

कोई फिर भी उनसे प्रेम करता है 

इसलिए पेड़ लगा रहा है 

******** 

बनारस का घाट हो तुम 

 तुम्हें छूने के लिए 

मुझे गंगा होना होगा 

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