Tuesday, September 30, 2025

शब्द

बचपन में 

बातूनी बहुत थी 

निबंध भी ये लंबे-लंबे लिखती थी 

शब्द सीमा का कभी आदर नहीं कर पाई। 


अब सब छू कर कहते हैं, 

"कुछ बोलो" 

और मेरे शब्द 

समाप्त हो गए 

बचपन में। 



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