Thursday, September 25, 2025

Kshanika by someone else

जितना मुझे क्षणिकाओं से प्रेम है, जीवन का सार एक क्षणिका में ही मिलना था. 

किसी और की लिखी हुई है. किसने लिखी है, इस पर इंटरनेट एकमत नहीं हो पा रहा है.  तो पता नहीं किसने लिखी है. 


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सूखे पत्तों की सिम्त बिखरे हुए थे हम 

एक शख्स ने समेटा 

और आग लगा दी. 

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