Friday, August 04, 2023

The saints

मनुष्य जब बड़े हो जाते हैं तो संत हो जाते हैं। 

संत जब गंतव्य पा जाते हैं तो पेड़ बनते हैं। 


पेड़ों को अपने जीवन यापन के लिए नाम मात्र की ही हिंसा करनी पड़ती है। 

उनके जीवन में कोई शत्रु नहीं है, क्यूंकि किसी को उं से कुछ पाने के लिए उनका वध करना ही नहीं पड़ता -  फूल और फल स्वत: झरते हैं। लकड़ी बिना पेड़ का वध किए, काटी जा सकती है - तना नहीं, डाली काटो। 

एक दूसरे का साथ देने के लिए वो कभी अपनी जड़ें मिल लेते हैं, कभी हवा से एक दूसरे की मदद करते हैं। 

पेड़ संत होते हैं। ऊपर नहीं, नीचे भी नहीं। बस, अपनी यात्रा पर एक पड़ाव पर। 

कुछ लोग, पेड़ होकर भी कुछ बुरा करते हैं। वे फिर इंसान बन कर पैदा होते हैं, और बड़ी हसरत से पेड़ों को देखते हैं। 

And that is how tree huggers are born. 



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