Friday, August 04, 2023

Book Review: Pishaach by Sanjiv Paliwal

कहानी एक वीभत्स, निर्मम हत्या से शुरू होती है। और धीरे धीरे पाठक को PC Sorcar के शो की तरह अपने में खींच लेती है। 

कुछ हिस्से सुरेन्द्र मोहन पाठक की पुस्तकों की याद दिलाते हैं। पुस्तक के अंत में आभार को पढ़ कर पता चला कि उन्होंने पुस्तक पर अपनी राय और सुझाव दिए हैं। 

पूरी कहानी में एक भी plothole नहीं है। सब सिरे एक दूसरे से आ कर जुडते हैं। कोई बेसिरपैर का सिरा नहीं बचता। 

हर किरदार सटीक उकेरा गया है - हर एक की अपनी शख्सियत / व्यक्तित्व है। 

एक के बाद एक खुलासा होता जाता है, और कुछ भी वैसा नहीं है, जैसा पाठक को दिखता है। 

हिन्दी में थ्रिलर कम मिलने लगे हैं। यह पुस्तक बहुत अच्छी है। पढिए। 

बस एक ही बात - सोनिया और रैना की शक्ल का मिलना - कहानी में एक बार गौरव इस बारे में सोच सकता था। 

  

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