कविता, गीत, और छंद में
आज हो गया द्वंद
पहले आया कौन था
हुई शांति भंग!
गीत लाया लय को
तान को लाये छंद,
कविता खड़ी निमानी
किसे ले जाए संग?
ज्ञानी जन शास्त्रार्थ पर
खूब जमा था रंग
कविता लाई एक गवाह
पड़ा रंग में भंग!
गीत की सब पुस्तकें
छंदों के सब शास्त्र
सब पर भारी पड़ गया
कविता का ब्रह्मास्त्र
एक निश्छल हंसी
लाई कविता साथ
उससे पुरातन कुछ भी
कोई न पाया बाँच
सबसे पहली कविता
मन का वह भाव था
जिस में सब सुंदर लगा था
चाहे शब्द न साथ था!
या शायद वह पल जब
पहला आँसू लुढ़का था
जब कंधे पर रखा सर
नींद के मारे ढुलका था
जब शब्द नहीं थे तब भी
कविता मन की कोमलता थी
2 comments:
बहुत सुंदर।
Thank you!
Post a Comment