तुमने मुझ पर हमेशा शक किया। कभी विश्वास नहीं किया मुझ पर।
क्या तुम विश्वास के योग्य थे?
नहीं, पर तुम ये बात नजरंदाज भी तो कर सकती थीं । रिश्ते में, विश्वास का छलावा भी तो हो सकता है।
क्या तुम विश्वास के योग्य थे?
नहीं, पर तुम ये बात नजरंदाज भी तो कर सकती थीं । रिश्ते में, विश्वास का छलावा भी तो हो सकता है।
2 comments:
दुधारी तलवार :)
Nahi sir, हमारे युग का सच। लोग इतने बेशर्म हो गए है, कि अब उन्हे छल कर के भी, विश्वासपत्र होना अपना अधिकार लगता है। कतरनें यूं तो fiction होती हैं, पर ये सच में किसी ने किसी से कहा, and I was speechless when I heard this. पतन, और उस पतन पर गर्व, ये हमारे युग का USP है।
Post a Comment