Wednesday, August 12, 2020

What if we could walk on water

ठुमक ठुमक नहीं, 
छपक-छपाक सी होती तब 
पैरों की चाल

तरल जल पर नृत्य होता 
लहरों पर तब बजती ताल! 

तरण ताल तब कहीं न होता 
और न होती स्विमिंग की क्लास 

डूबने का, तैरने का ,
कोई डर न फटकता पास! 

समुद्र पर हम टहलने जाते 
नदियों पर करते विहार 

मछलियों से जी भर मिलते 
उनको भी खिलाते घास 

पानी पर जो हम चल पाते 
सदा ही रहते ह्वैल के साथ! 


The idea is from a friend. 


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