Tuesday, January 07, 2025

दुविधा

That अंग्रेजी का वह शब्द है जो किसी भी common noun के आगे लग कर उसे proper noun जैसा ही बना देता है। कोई और मूर्ति नहीं, वह वाली - That one. 

सादे शब्दों में कहें तो आम को खास बनाने की ताकत है That। 

ये दिसंबर भी कुछ ऐसा ही था। ये That December था। खास वाला। 

जैसे जंग की भर्ती शुरू होने के बाद, हर जवान लड़के को गाँव का तालाब, मैदान के जंगली फूल, यहाँ तक कि घर की छिपकलियाँ भी खास लगने लगती हैं, वैसे ही, इस दिसंबर में आस पास की हर आम सी चीज़ को ऐसे देखा जा रहा था, जैसे वह कितनी ही खास हो ! पता नहीं, इन में से कौन सी चीज़ अगले दिसंबर तक साथ होगी। शायद सारी की सारी रह जाएँ, शायद एक भी न बचे। 

जो अंत बता कर नहीं आता, उस से हमेशा यह शिकायत रहती है कि कुछ तय्यारी ना कर पाए। कुछ भी कह-सुन ना पाए। अलविदा भी न कह पाए। 

पर जो अंत बता कर आता है, क्या सच में, वह बेहतर होता है? किसी तिल तिल सी पीड़ा में जलना, या एक झटके में सब खो देना। क्या सच में, 'अलविदा' कह पाना ... इतना बड़ा सुख है? 

 ***** 

"That" places itself before a common noun and makes it almost a proper noun. Not any statue. THAT one. 

THAT has the power to make the commonplace, special. 

 This December was also like that. It will probably be remembered, forever, as "That December." 

Just like a young boy, once he has been enlisted, starts to notice the village pond, the wildflowers in the meadow, even the stains on the walls... This December, I saw everything like that boy.. will this still be here next year? Who knows? Perhaps all of it will remain, just like this. Perhaps nothing will.

The end that comes without warning is forever rued and regretted - "Oh! We could never say Goodbye!" 

But the end that comes, like a slow, agonising death? What about it? The moments of waiting.. not knowing.. when, how, or how much.... Is the time to say 'Goodbye' really worth the Chinese torture of waiting for the end? 

No comments: