Tuesday, January 28, 2025

Katran

 वो मुझे ऐसे देखता था, जैसे एक मर्द एक औरत को देखता है – हसरत से।

वो मुझ से ऐसे बात करता था, जैसे एक लड़का एक लड़की से बात करता है – हसरत से, पर उस हसरत को पूरा न कर पाने की मजबूरी बातों-बातों में बयान करते हुए। थोड़ा झिझक कर, थोड़ा रुक कर।  

बात पूरी हो जाने के बाद, बस एक छोटे से पल के लिए रुक जाता था।

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I thought I'd use this as the start of a short story, but the thought is beautiful, and complete enough to live by itself. 

Makes one wonder - gadya mein kitni aisi kavita numa baatein chhipi hoti hain, jinhein ham padhte to hain, par un par gaur nahi karte..


 

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