फिर मैंने तुमसे पूछा था,
"तुम्हें किस रंग के फूल पसंद हैं?"
तुमने कहा था, "आसमानी"
पर, आसमानी रंग का तो
शायद कोई फूल नहीं होता।
इसीलिए तो!
जिस दिन फूलों में
आसमानी रंग उतर आएगा
उस दिन
मुरझाए फूल
धरती पर नहीं गिरेंगे
पंख उगा कर
उड़ जाएंगे
व्योम की ओर
जैसे मैं उड़ जाना चाहती हूँ।
क्या तुम्हें धरती
बिल्कुल सुंदर नहीं लगती?
बहुत सुंदर लगती है।
अपनी नहीं लगती।
Translation:
And then I asked you
"What is your favourite colour in flowers?"
"The colour of the sky," you said.
"But I don't think
there is a flower
the colour of the sky."
"The day a flower
finds the sky in itself
it will not wither
to fall.
It will grow wings
and fly
to eternity.
Like I want to."
"Do you not find this Earth
beautiful?"
"Very beautiful.
Just not.... mine."
As usual, since the original Hindi uses some wordplay that is unique to Hindi, the translation is not as enjoyable as the original.
Every language has its own wordplay that I thoroughly enjoy.
2 comments:
सुंदर कविता, याद आ गया वह गीत, हर कोई चाहता है इक मुट्ठी आसमान
धन्यवाद अनीता जी! बहुत आभार!
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