जब पेड़ जूझ रहा होता है
तूफान से
तो उसे
पकड़ लेती हैं
अपनी पूरी ताकत से
- गिरने नहीं देतीं।
जड़ें
हार नहीं मानतीं
न मिट्टी से, न पत्थर से, न ईंटों से।
जड़ें अपना रास्ता
ढूंढती नहीं
बना लेती हैं
उनके स्वभाव में ही नहीं है
अपने दबे से घर से निकल कर
एक बार देख आना
कि उनके पेड़ का आकाश
कितना विस्तृत हो गया है।
जड़ें
असल में
माँ-बाबा सी होती हैं।
**********
When the tree is about to fall
to the storm
They hold on to it
With all their might
And save it.
Roots
are not scared
of the earth, rocks, or bricks.
They don't find a path
They make it.
They never dream of
leaving their house
in the mud
To go see
even once
how the sky
is kissed
by the canopy.
Roots
are, I think,
a little bit like
Parents.
8 comments:
जड़ के बिना जीवन का अस्तित्व संभव नहीं।
सुंदर अभिव्यक्ति।
सादर।
------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह! अनीता जी ,बहुत खूबसूरत सृजन...जडें सचमुच माता -पिता -सी होती हैं ।
बढ़िया
धन्यवाद!!! बहुत आभार
धन्यवाद! मेरा नाम अनीता नहीं है :)
धन्यवाद!
सुंदर सृजन
Dhanyavaad Anita ji! Long time reader of your blog.
Post a Comment