Thursday, August 29, 2024

जब पेड़ जूझ रहा होता है 

तूफान से 

तो उसे 

पकड़ लेती हैं 

अपनी पूरी ताकत से 

- गिरने नहीं देतीं। 


जड़ें 

हार नहीं मानतीं 

न मिट्टी से, न पत्थर से, न ईंटों से। 

जड़ें अपना रास्ता 

ढूंढती नहीं 

बना लेती हैं 


उनके स्वभाव में ही नहीं है 

अपने दबे से घर से निकल कर 

एक बार देख आना 

कि उनके पेड़ का आकाश 

कितना विस्तृत हो गया है। 


जड़ें 

असल में 

माँ-बाबा सी होती हैं। 

********** 

When the tree is about to fall 

to the storm 

They hold on to it

With all their might 

And save it. 


Roots 

are not scared 

of the earth, rocks, or bricks. 

They don't find a path 

They make it. 


They never dream of 

leaving their house 

in the mud 

To go see

even once 

how the sky 

is kissed 

by the canopy. 


Roots 

are, I think, 

a little bit like

Parents. 



8 comments:

Sweta sinha said...

जड़ के बिना जीवन का अस्तित्व संभव नहीं।
सुंदर अभिव्यक्ति।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

शुभा said...

वाह! अनीता जी ,बहुत खूबसूरत सृजन...जडें सचमुच माता -पिता -सी होती हैं ।

Prakash Sah said...

बढ़िया

How do we know said...

धन्यवाद!!! बहुत आभार

How do we know said...

धन्यवाद! मेरा नाम अनीता नहीं है :)

How do we know said...

धन्यवाद!

Anita said...

सुंदर सृजन

How do we know said...

Dhanyavaad Anita ji! Long time reader of your blog.