हम किसी की आमद से पहले, उसकी रुखसती की तैयारी करते हैं।
तुम्हारी आदत पड़ गई तो?
हमारी लड़ाई हो गई तो?
तुमने शहर छोड़ दिया तो?
क्या फायदा?
दुख की तैयारी करने से, दुख हल्का नहीं होता। तब भी उतना ही दुखी करता है। दुख की तैयारी करने से, आज का सुख कम होता है।
याद आ रही है? जा कर मिल आओ।
लतीफा सुनाना है? सुना दो।
No comments:
Post a Comment