This is a random personal blog - covering everything from poetry to politics. Views presented are strictly my own.
एक ये ज़ख़्म ही काफ़ी है मिरे जीने को
चारागर ठीक न होने की दवा दे मुझ को
**************
चारागर ख़त्म भी कर कार-ए-नफ़स अबके बरस
तू तो कह देता है बस अबके बरस अबके बरस
*********
- ~ बालमोहन पांडेय
Post a Comment
No comments:
Post a Comment