Sunday, July 07, 2019

Achanak

जब मैं ११ साल का था,
मेरी माँ ने नसें काट ली थीं 


उस दिन से पहले,
वो दुनिया की सबसे अच्छी माँ थी. 
उस दिन के बाद 
वो दुनिया की सबसे बुरी माँ बन गयी 
हमेशा, हमेशा के लिए.


मैं ५ दिन रहा 
उसके बगैर 
उन ५ दिनों में 
मुझे उस से 
नफरत हो गयी
पूरी 
मैंने कभी नहीं सोचा
कि माँ भी नसें काट सकती है 
मैंने कभी नहीं पूछा 
"माँ, तूने नसें क्यों काटी?"
मैं हमेशा सोचता रहा 
"माँ , मेरा ख्याल कौन रखता? तुझे शर्म नहीं आती ?"


माँ घर आयी.
फिर से बनाने लगी 
रोटी 
बुहारने लगी 
घर 
करने लगी 
प्यार 
उसने कभी 
कुछ न कहा 
पर मैंने 
उसे कभी माफ़ नहीं किया 
कभी भी न पूछा 
"माँ, तूने क्यूँ काटी थी नसें? "
बस, नाराज़ ही रहा मैं. 
मना करता रहा 
कहानी को 
बताशों को 
तमाशों को 
जैसे 
बताशों से रूठने की सज़ा 
माँ को सीधी मिलनी थी.


मैं बहुत बड़ा हो गया 
माँ ने फिर 
कभी नसें नहीं काटी 
पर मैंने 
उसे कभी माफ़ नहीं किया।


आज 
अचानक 
समझा हूँ 
क्यूँ 
औरतें 
काटती हैं नसें 
आज 
अपने आप से 
घृणा सी हो रही है मुझे.