Thursday, July 04, 2013

parauna


तुझको चलना तो था मेरे साथ
हमदम
और मैं
रुका भी रहा
तेरे लिए
पर ऐन  उसी शब  तुझको
तेरे माजी ने बुला लिया
और तू
बीन मोहित नाग की तरह
चल दिया
सब छोड़ कर .

तुझको चलना तो था मेरे साथ हमदम
और मैंने
तेरे लिए बनाया भी  था
एक छोटा सा आशियाँ
जहां न बिजलियाँ गरजें
और न ही
तन्हाई की लू  सताए
पर तू
ऐन उसी वक़्त
पड गया
सोने की चकाचौंध में
और सोना भला
चैन से सोने से
कब हारा है ?

तूने थामा तो था मेरा हाथ ज़रूर
पर उस हाथ में एक मुंदरी भी थी
अब उस मुंदरी के हीरे को
मैंने निगल लिया है
अब
न तू, न तेरा साथ
न तेरा माजी
न सोना
बस ये
कमरा
सुबह की धुप
छन कर आती हुई
और एक खाली हाथ

अब तू
इस घर का कहाँ रहा?

3 comments:

B said...

oh my god. beautiful.

Maddening Silences said...

Its amazing gal...and how touching....and pouring out one's heart...thank you...much love and hugs

How do we know said...

hi South Looper: :) thanks babe.

Hi Yam: yeah.. pouring outthe heart just abt covers it..