इक ब्राह्मण ने कहा है, के ये साल अच्छा है
पुराने दर्द, रोग, और लड़ाई का
इस साल होगा खात्मा
पुराने प्रेम, पत्र, और अफसर का
इस साल होगा सामना
अवसाद गया, अवसर आया
भंडार थकें भर-भर माया
अकेले हो तो पाओ साथ
थकेले हो? बन जाओ खास
जो भी हो मन की आस
इस बरस आए तुम्हारे पास
भीतर देखो, तो पाओ के मन बच्चा है
इक ब्राह्मण ने कहा है, के ये साल अच्छा है
With Apologies to Sabir Dutt, whose ghazal was sung by Jagjeet Singh ji.
I started this year with that song in head, but on hearing, realised its a sad song. so, took the first line and converted it to a positive wish for the year.
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