पहुंचे दफ्तर मिस्टर नोटे
इरादे हैं सब इनके खोटे
सबसे लेते हैं ये घूस
और खुद हैं बिल्कुल कंजूस!
बिजली, पानी, या अनुदान,
सब पर रहता इनका ध्यान!
इस से बड़े, उस से छोटे,
पर लेते सबसे मिस्टर नोटे!
भगवान को लगता जैसे भोग,
वैसे हिस्सा लाते लोग
चपरासी हो या ठेकेदार
सब पर पड़ती इनकी मार।
देने वाले देते जाते
नोटे जी बहुत इतराते
मोटी तोंद के नाटे नट
नोटे जी तुम हो बस ठग!
7 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हँसी के गुलगुले
वाह!!लाजवाब!
Wow it's amazing.
यशोदा जी, विभा जी, शुभा जी, and R G: बहुत आभार। :) अब मुझे बच्चों के लिए ही लिखना अच्छा लगता है :)
बहुत खूब
मजेदार । बहुत बढ़िया ।
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