एक दिन नमक ने ठानी
नहीं चलेगी तानाशाही
पानी मेरा हर लेते हैं
वे मुझको सब छल लेते हैं
सूर्यदेव को लगायी गुहार
उन्होंने भी सुनी पुकार
"जब मैं सागर में बहता हूँ
चिरकोटि तक मैं रहता हूँ
मनुष्य मुझे पकड़ लेता है
पानी मेरा हर लेता है
फिर मेरा अंत निश्चित है
संशय नहीं इसमें किंचित है
कभी फल, कभी अचार
भाजी कभी, और कभी दाल
चाहे किसी प्रकार हो देव
अंत मेरा होता सदैव
आप अगर जल नहीं हरेंगे
तब ही मेरे प्राण बचेंगे।"
सूर्यदेव ने कहा "ज़रूर!
नमक से पानी न होगा दूर!"
उस दिन से कमाल हो गया!
आदमी बेहाल हो गया!
दिन दिन बीते, पानी न जाए
नमक कोई अब कैसे बनाये?
निकाले बड़े बड़े पतीले
आग जलाई उनके नीचे
अब तो नमक सकपकाया
पानी भी बहुत घबराया
बहुत लगा लकड़ी और तेल
नमक का भाव सब से तेज़
लोग नमक अब कम थे खाते
किफ़ायत से थे काम चलाते
नमक के अब सब गुण गाते थे
रासायनिक विधा समझाते थे
मिटटी का तेल धीरे से हँसता
दाम से ही है मूल्य बनता।
One day, salt decided that it wants freedom. It went straight to the Sun God and requested him to not take the water away, because, in the sea, salt lives forever, but as soon as Man takes it out, it stares at certain death. The Sun God agreed.
This led to major issues among humans. They then took out huge boilers and boiled the water away. This made salt very expensive, and people started using it less. They now started praising salt as an exotic spice and wrote chapters about the difficult process of extraction of salt.
Crude oil laughed quietly on the side. "It is true then, our price determines our worth."
नहीं चलेगी तानाशाही
पानी मेरा हर लेते हैं
वे मुझको सब छल लेते हैं
सूर्यदेव को लगायी गुहार
उन्होंने भी सुनी पुकार
"जब मैं सागर में बहता हूँ
चिरकोटि तक मैं रहता हूँ
मनुष्य मुझे पकड़ लेता है
पानी मेरा हर लेता है
फिर मेरा अंत निश्चित है
संशय नहीं इसमें किंचित है
कभी फल, कभी अचार
भाजी कभी, और कभी दाल
चाहे किसी प्रकार हो देव
अंत मेरा होता सदैव
आप अगर जल नहीं हरेंगे
तब ही मेरे प्राण बचेंगे।"
सूर्यदेव ने कहा "ज़रूर!
नमक से पानी न होगा दूर!"
उस दिन से कमाल हो गया!
आदमी बेहाल हो गया!
दिन दिन बीते, पानी न जाए
नमक कोई अब कैसे बनाये?
निकाले बड़े बड़े पतीले
आग जलाई उनके नीचे
अब तो नमक सकपकाया
पानी भी बहुत घबराया
बहुत लगा लकड़ी और तेल
नमक का भाव सब से तेज़
लोग नमक अब कम थे खाते
किफ़ायत से थे काम चलाते
नमक के अब सब गुण गाते थे
रासायनिक विधा समझाते थे
मिटटी का तेल धीरे से हँसता
दाम से ही है मूल्य बनता।
One day, salt decided that it wants freedom. It went straight to the Sun God and requested him to not take the water away, because, in the sea, salt lives forever, but as soon as Man takes it out, it stares at certain death. The Sun God agreed.
This led to major issues among humans. They then took out huge boilers and boiled the water away. This made salt very expensive, and people started using it less. They now started praising salt as an exotic spice and wrote chapters about the difficult process of extraction of salt.
Crude oil laughed quietly on the side. "It is true then, our price determines our worth."
2 comments:
Sahi kaha...daam hai, toh mulya hai .Lekin ye bhi hakkekat hai ki jab tak mulya nahi, tab tak daam bhi nahi !!
hi my space: Very True! :)
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