मुझे लगा, तुम्हारे जीवन में मेरा कोई महत्व ही नहीं है.
मुझे भी.
ऐसा क्यों हुआ हमारे बीच?
तुम अप्राप्य थे.
तुम भी.
किन्तु अप्राप्य होने की शर्त समाज की थी, मेरी नहीं.
पर उस शर्त से बाधित होने का संकेत तुम्हारा था, समाज का नहीं.
मुझे भी.
ऐसा क्यों हुआ हमारे बीच?
तुम अप्राप्य थे.
तुम भी.
किन्तु अप्राप्य होने की शर्त समाज की थी, मेरी नहीं.
पर उस शर्त से बाधित होने का संकेत तुम्हारा था, समाज का नहीं.
5 comments:
We always have a choice-don`t we ? very well written
Hi my space: Thank you! :)
As always your words are my thoughts!
so nice
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Hi Aradhna: :) Thank you!
Hi Raju: Saw your blog. Very interesting. Please keep writing.
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