मैं उसके बारे में सब जानता था
कैसे, अपना मनपसंद गाना बजते ही,
वो बाल खोल कर
इत्मीनान से खिड़की से बाहर देखने लगती है.
लम्बी सी बातचीत पर
प्यार से सर हिला हिला कर जवाब देगी
और फ़ोन रखते ही माथा पीट कर कहेगी
"लोग कितनी बातें करते हैं! "
माँ से बात करते हुए उसकी आवाज़ बदल जाती है
कोमल सी हो जाती है
जैसी दफ्तर के फ़ोन पर
कभी नहीं हो सकती।
कुर्बत से,
आशनाई हो ही जाती है।
कैसे, अपना मनपसंद गाना बजते ही,
वो बाल खोल कर
इत्मीनान से खिड़की से बाहर देखने लगती है.
लम्बी सी बातचीत पर
प्यार से सर हिला हिला कर जवाब देगी
और फ़ोन रखते ही माथा पीट कर कहेगी
"लोग कितनी बातें करते हैं! "
माँ से बात करते हुए उसकी आवाज़ बदल जाती है
कोमल सी हो जाती है
जैसी दफ्तर के फ़ोन पर
कभी नहीं हो सकती।
कुर्बत से,
आशनाई हो ही जाती है।
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