परेशानी तब होती है
जब हम
शब्दों पर
विश्वास करने लगते हैं
शब्द विश्वास के नहीं
अहसास के वाहक होते हैं
उनका बुना मायाजाल
एक पूरी सलमान खान की फिल्म
उन पर विश्वास करने से पैदा होती है ज़रुरत
उन्हें "सच", "झूठ", "आधा सच", "थोड़ा सा झूठ"
जैसे पालों में डालने की.
यूँ टूट टाट कर कहाँ बना पाएंगे वे
अपना मायावी वन?
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