Saturday, December 30, 2017

आदत

पहली बार,
दो दिन तक
होश ही नहीं आया था .




दूसरी बार, 
एक रात सहेली के यहां बिता कर 
लौट आई थी मैं .




तीसरी बार , 
4 घंटे में ही 
हंसती खेलती
वापिस आ गई.


चौथी बार,
कहीं नहीं जाना पड़ा
बच्चों को पिक्चर दिखाने बाहर ले गयी.


उसके अगली बार
मैंंने न
गिनती बंद कर दी
और तुम्हेें कुछ
Freedom and personal  space
देने को
3 दिन के लिये घर से बाहर चली गई।


उस से अगली बाऱ
तुमने मुझ से पूछा,
तुम्हे मेरी चीज़ें देखने की
ज़रुरत ही क्या थी?
फिर बालकनी में जा कर
किसी को फ़ोन लगाया
और दोनों किसी बात पर
खूब हंसने लगे.  




तुम्हारी बेवफाईओं की 
मुझे कैसी आदत सी हो चली है ।


First Edit: 25th May 2018
Next edit: 08th Sep 2018  

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