हाशिये से पृष्ठ
पृष्ठ से मुखपृष्ठ
मुखपृष्ठ पर फिर
रोज़मर्रा की जिंदगी के निशान ।
मुखपृष्ठ के चक्कर में
हाशिया भी हाथ से जाता है।
ये इश्क ज़रा सा झांसा दे,
सब कुछ ही लूट ले जाता है।
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रोज़मर्रा की जिंदगी के निशान ।
मुखपृष्ठ के चक्कर में
हाशिया भी हाथ से जाता है।
ये इश्क ज़रा सा झांसा दे,
सब कुछ ही लूट ले जाता है।
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