एक साईं था। कहीं से आ कर , एक गाँव के पास रहने लगा. न किसी से दोस्ती, ना काहू से बैर. अपनी रौ में रहता था. लोग आ कर कुछ खाने को रख जाते, तो खा लेता. ना रखते, तो ना खाता. कभी मांगता न था. कुछ कहता भी ना था.
धीरे धीरे, लोग साईं को बड़ा मानने लगे. उसके डेरे पर लोग खाना रख जाते. सर झुकाते, और चले जाते.
उन्ही दिनों, गाँव की एक लड़की हामिला हो गयी. गाँव वालों ने बच्चे के पिता का नाम पूछा, तो डर के मारे उस ने साईं का नाम ले दिया. लोग बहुत नाराज़ हुए, बहुत गुस्से में आये. पर भगवन के बन्दे को मारें कैसे? बच्चा पैदा हुआ, तो लोग उसे साईं के पास ले गए. साईं से ज़िम्मेदारी लेने को कहा गया. साईं बोले, "मेरा है? छोड़ जाओ. "
लोग गुस्से में बुदबुदाते हुए, बच्चे को वहीँ छोड़ आ गए.
अब साईं रोज़ बच्चे के लिए दूध मांगने गाँव की ओर जाते थे . मर्द लोग तो हिकारत से मुंह फेर लेते. औरतें बच्चे के मुंह को कुछ दूध दे दिया करतीं। साईं दूध बच्चे को पिलाते , उसे पुचकारते , और सुलाने की कोशिश करते . वह बच्चे का ख्याल रखने की पूरी कोशिश करते थे .
उधर बच्चे की माँ से रहा न गया. बच्चे का असली वालिद जब लौट कर गाँव आया, तो उन दोनों में बात हुई, और लड़की ने जा कर सारे गाँव को बता दिया की बच्चा असल में किस का है. उसने ये भी बता दिया कि साईं का नाम सिर्फ इसलिए लिया था, कि लोग उसे और बच्चे को मार ना डालें.
अब गाँव वालों को बड़ी ग्लानि हुई. बच्चा किसी और का, और हम ने यूँ ही साईं पर झूठा इलज़ाम लगाया!
बच्चे के माता पिता और गाँव वाले मिल कर साईं के पास पहुंचे, उन्हें सारी बात बताई, और बच्चा ले जाने की बात कही. साईं ने सरल मन से कहा, "मेरा नहीं? ले जाओ!"
This is a folk tale that I heard as a child and it had a deep impact on me.
धीरे धीरे, लोग साईं को बड़ा मानने लगे. उसके डेरे पर लोग खाना रख जाते. सर झुकाते, और चले जाते.
उन्ही दिनों, गाँव की एक लड़की हामिला हो गयी. गाँव वालों ने बच्चे के पिता का नाम पूछा, तो डर के मारे उस ने साईं का नाम ले दिया. लोग बहुत नाराज़ हुए, बहुत गुस्से में आये. पर भगवन के बन्दे को मारें कैसे? बच्चा पैदा हुआ, तो लोग उसे साईं के पास ले गए. साईं से ज़िम्मेदारी लेने को कहा गया. साईं बोले, "मेरा है? छोड़ जाओ. "
लोग गुस्से में बुदबुदाते हुए, बच्चे को वहीँ छोड़ आ गए.
अब साईं रोज़ बच्चे के लिए दूध मांगने गाँव की ओर जाते थे . मर्द लोग तो हिकारत से मुंह फेर लेते. औरतें बच्चे के मुंह को कुछ दूध दे दिया करतीं। साईं दूध बच्चे को पिलाते , उसे पुचकारते , और सुलाने की कोशिश करते . वह बच्चे का ख्याल रखने की पूरी कोशिश करते थे .
उधर बच्चे की माँ से रहा न गया. बच्चे का असली वालिद जब लौट कर गाँव आया, तो उन दोनों में बात हुई, और लड़की ने जा कर सारे गाँव को बता दिया की बच्चा असल में किस का है. उसने ये भी बता दिया कि साईं का नाम सिर्फ इसलिए लिया था, कि लोग उसे और बच्चे को मार ना डालें.
अब गाँव वालों को बड़ी ग्लानि हुई. बच्चा किसी और का, और हम ने यूँ ही साईं पर झूठा इलज़ाम लगाया!
बच्चे के माता पिता और गाँव वाले मिल कर साईं के पास पहुंचे, उन्हें सारी बात बताई, और बच्चा ले जाने की बात कही. साईं ने सरल मन से कहा, "मेरा नहीं? ले जाओ!"
This is a folk tale that I heard as a child and it had a deep impact on me.
4 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 14 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Interesting folk tale someone would tell a child about a child born out of wedlock and an illicit relationship. No idea what to make of it though...
Seriously what's the lesson here?
जय साईं राम!
Do good and it will come to the fore...Simplicity is a virtue that is sadly forgotten
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