Monday, December 20, 2021

Dedicated to all my friends who write political poetry

हम कविता वाले लोग हैं, 

हम छंदों में बतियाते हैं 

मज़दूर का साथ निभाने को 

शब्दों के कुदाल उठाते हैं 

कंधे से कंधा मिल कर हम 

उसका भार उठाते हैं। 


भूखों से हमें विशेष लगाव 

शब्दों के कौर खिलाते हैं 

उनके नाम की कविता लिख कर 

पेट अपने भर पाते हैं 

हम कविता वाले लोग हैं 

हम छंदों में बतियाते हैं 


दायित्व कोई नहीं हमारा 

केवल अधिकार हमारे हैं

व्यंग्य हमारा साधन है,

बस खुद पर न सह पाते हैं 

हम  कविता वाले लोग हैं, 

हम छंदों में बतियाते हैं 


We are the people of poetry 

We speak in rhyme scheme

We pick our words to help him 

The mason on the street

We stand with him, shoulder to shoulder. 

And use our words to clean. 


We love the destitute the most 

We feed them our  verse 

And feed off their poverty, 

No one is any the worse. 


No responsibility, no sirree, 

Only rights we claim 

Satire is our specialty

But we are not fair game. 







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