Thursday, February 11, 2021

Roshan Daan

 बहुत लोग सोचते हैं कि पानी हमें डुबोने के लिए है. नहीं. पानी तो हमें तारने के लिए है. मोक्ष पाने का शब्द ही है, तरना। तो पानी डुबोता कहाँ है? 

पानी तभी तक डुबोता है, जब तक हम उस से लड़ते हैं. उसे हाथ पाँव से मारते हैं. 

जब सब अहम् त्याग कर, हम स्थिर हो जाते हैं, केवल सांस लेते हैं, और पानी पर विश्वास कर के, अपना अंग अंग ढीला छोड़ कर, पानी के हवाले कर देते हैं, पानी हमें स्वत: उठा लेता है. 

हम कितनी भी देर उस पर रहें, वह धीरे से हमें वहन करता है. 

इसी को तरना कहते हैं. 

तैरना विद्या है. तरना विश्वास. 

दोनों सीखने पड़ते हैं. पर तैरने में, केवल अपनी विद्या, अपनी शक्ति, और अपने कौशल पर भरोसा होता है. 

तरने के लिए, पानी पर पूरा विश्वास. 


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