This is a random personal blog - covering everything from poetry to politics. Views presented are strictly my own.
मौन
प्रमाण है
कि सुनने की
सीमा होती है
देखने की,
सूंघने की -
वह सब
जिसे हम कहते हैं
इंद्रिय
एक नन्ही सी परिधि
के खिलौने।
कहो तो,
इंद्रियाँ
बोध का द्वार
खोलती हैं
कि बंद करती हैं?
Post a Comment
No comments:
Post a Comment