एक हमारा छोटा बाल
करता देखो कई कमाल
बस्ता, मेज़, खिलौने, किताब
किसी चीज़ का न कोई हिसाब।
सुबह से शाम तक बस शैतानी
सब को सताने की इसने है ठानी
न खाने की सुध है, न पीने का ध्यान
माँ को बस करता हैरान।
करता देखो कई कमाल
बस्ता, मेज़, खिलौने, किताब
किसी चीज़ का न कोई हिसाब।
सुबह से शाम तक बस शैतानी
सब को सताने की इसने है ठानी
न खाने की सुध है, न पीने का ध्यान
माँ को बस करता हैरान।
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