Tuesday, March 07, 2017

गुरुद्वारा / Gurudwara


जब मैं गुरुद्वारे के अंदर नहीं जाती,
तो गुरुद्वारा
मेरे अंदर आ कर
बैठ जाता है


कभी सुखमनी की अष्टपदी बन कर
कभी पंज पौड़ियों दा पाठ
कभी चौपाई साहिब की धुन में
घुस ही जाता है
किसी न किसी तरह से
गुरुद्वारा
मेरे अंदर.


आ बैठती है
बचपन की बीड़
"गगन में थाल रवि चाँद दीपक बने तारक मंडल जनक मोती "
की ऐसी धुन की सूरत
जो अब
सिर्फ मेरे मन में सुनाई पड़ती है। 


रूठा हुआ पीहर
ऐसे ही मनाता हो शायद
या शायद
किस्मत ही मेरी अच्छी है.


For you, kj,  the translation:






When I don't go to the temple
the temple comes
to me.


Sometimes, it is a favourite prayer
suddenly in the head.
The melody of a favourite hymn
One way or another
it makes its way
inside me.


The chapel of my childhood
makes itself right at home
through the tune of a hymn
not heard anywhere else since.


Perhaps this is how
they reach out to daughters who are married
away from their homes
Or maybe, just maybe
I am exceptionally lucky.