Saturday, November 26, 2016

कतरनें

वह:  तुम इंसानियत के नाते ही सुन सकते थे!


यह: इंसानियत के नाते?


वह: जब किसी दुसरे इंसान को तकलीफ होती है, तो इंसानियत के नाते ही उसका दुःख बांटा जा सकता है. मैं इतनी परेशान हूँ, पर तुम दो घडी नहीं बैठते मेरे पास!


यह: अगर दुःख तुम्हारा है, तो मेरे लिए बात इंसानी नहीं, ज़याती (personal) है।  

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