Wednesday, July 01, 2015

पीड़ा

हमारे सब से कठिन रास्ते
नहीं लाते अपने साथ
अंकों का सिरहाना
 जिस पर सर रख कर
हम सो लें कुछ देर

न मील के पत्थर
जिन से
जान लें
कि सुकून
कितनी दूर है अभी

बवंडर कहाँ लाते हैं
अंक
अगणित ही होती है
पीड़ा
साक्ष्य से परे , निर्णय से दूर। 
 

2 comments:

Onkar said...

वाह, बहुत सुन्दर

How do we know said...

thank you sir!