Thursday, July 13, 2023

Ishk karna

इश्क करना  कनकव्वे  उड़ाने जैसा होता है। कभी खींच कर अपने पास लाना होता है, कभी उड़ान भरने को ढील देनी होती है, पर भरोसा रहता है, कि एक ही डोर से बंधे हैं हम। 

लोग पेंच लड़ाते हैं, पर डोर को सम्हाल कर रखना होता है। डोर एक बार टूट गई, तो न पतंग उड़ पाती है, न डोर वाला आकाश छू सकता है। 

इश्क करना, कनकव्वे उड़ाने जैसा होता है। 



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