एक दिन हुआ ये संयोग
सीखने चले हम भी योग
पहले प्राणायाम कराया
फिर टीचर ने गले लगाया
इतनी गहरी होगी सांस
हमको कब था ये आभास?
पद्मासन ने छक्के छुड़ाए
टांगें कोई कैसे सधाये ?!
पैर करें न वार्तालाप
हम ही करते चले विलाप!
आ- आ – आ के साथ
पद्मासन न छोड़े जान
“चलो तुम्हें कुछ सरल सिखाएँ”
गुरु ने ये तेवर अपनाए
सूर्य नमस्कार करें आरंभ
सरल हो योग से संबंध
किन्तु सूर्य नभ-पथिक हैं
उनका नमन बहुत कठिन है!
गुरु अब हौले से मुस्काए
अपना ब्रह्मास्त्र ले आए
“आपके लिए है एक ही आसन”
कह कर सिखाया शवासन!
हम भी हो गए तुरंत प्रसन्न!
गुरु को किया कोटि नमन!
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