Friday, November 12, 2021

Bal Divas par Hasya Kavita

 कैसे-कैसे हैं क्या बताऊँ

मेरे गाँव के बालक

एक से एक नमूने सारे

भगवान हैं इनके पालक।

 

भोलू नाम से, काम से चालू

टिफ़िन छीने जैसे भालू

 

मोहन सबसे लड़ता है

किसी के मन नहीं बसता है

 

विद्या को न भाये किताब

कनकव्वे उड़ाएँ जनाब

 

विनोद नाम का लिया है ठेका

इसे कभी हँसता न देखा

 

रोशनी इतना सताती है

जीवन अंधियारा कर जाती है

 

सुभाषिणी के मुंह से निकलता

साक्षात भूराल (लावा)

सुशील के मुंह से निकले गाली

बिना किसी अंतराल

 

सबसे प्यारा नाम है धर्म

चोरी-झूठ हैं इनके कर्म

 

जो बच्चे मन के सच्चे हैं

वो मेरे गाँव न बसते हैं

 

जो बच्चे अक्ल के कच्चे हैं

वो कान कतरने में अच्छे हैं. 

 

 

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