Thursday, January 25, 2018

Metamorphosis - III


आज जितनी प्रत्यक्ष है 
तुम्हारी आसक्ति , क्षुधा और तृष्णा 
कल उतनी ही सच होगी 
तुम्हारी उदासीनता
और विरक्ति।


इसी लिए 
स्त्री बन जाती है नदी 
और पुरुष 
बन जाता है 
बादल।

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