Wednesday, January 10, 2018

Chanakya Sanskrit Shloka

यस्य चितं द्रविभूतं कृपया सर्वजन्तुषु 
तस्य ज्ञानेन मोक्षेन किं जटभस्मलेपनै:


अर्थ:
जिसका मन किसी प्राणी को संकट में देख कर द्रवित हो जाता है (पिघल जाता है), उसे ज्ञान या मोक्ष पाने के लिए जटा बढ़ाने या भस्म लगाने की क्या ज़रुरत है?


Meaning:
A person who is moved by the plight of another living being, needs no penance or ritual to attain enlightenment or moksha.

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