Monday, March 17, 2025

Meena Kumari ki Shayari - 1

मांगी - तांगी हुई सी कुछ बात 

दिन की झोली में भीख की रातें 

मेरी दहलीज़ पर भी लाई थी 

ज़िंदगी दे गई है सौगातें 

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चाँद तन्हा है आसमान तन्हा 

दिल मेरा है कहाँ कहाँ तन्हा 


बुझ गई आस, छुप गया तारा 

थरथराता रहा धुआँ तन्हा 


ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं 

जिस्म तन्हा है और जां तन्हा 


हमसफ़र  कोई 'गर कोई मिले भी कहीं 

दोनों चलते रहें यहाँ तन्हा 


जलती बुझती सी रोशनी के पड़े 

सिमटा सिमटा सा इक मकां तन्हा 


राह देखा करेगा सदियों तक 

छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा 

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टुकड़े टुकड़े दिन बीता, धज्जी धज्जी रात मिली 

जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली 


रिमझिम रिमझिम बूंदों में, ज़हर भी है और अमृत भी 

आँखें हंस दीं, दिल रोया, ये अच्छी बरसात मिली 


जब चाहा दिल को समझें, हंसने की आवाज सुनी 

जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली 


मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर 

दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली 


होंठों तक आते- आते, जाने कितने रूप भरे 

जलती बुझती आँखों में, सादा सी जो बात मिली 

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2 comments:

Anita said...

मीना कुमारी का जीवन भी एक दर्द भरी दास्तां था उनकी शायरी की तरह

How do we know said...

haanji. Dard to ansoo ban kar nikalna chahiye, shayari ban kar nikalna chahiye, bimaari ban kar nahi nikalna chahiye