वो जो छींक
आधे में रुक जाती है न?
जिसके आ जाने तक
सांस रोकने के अलावा कुछ नहीं कर सकते?
पूरे अधिकार से
रोक देती है
जो भी ज़रूरी काज या बात
कर रहे हों।
सर्वाधिकार संपूर्णतया सुरक्षित।
कुछ कविताओं का मन में आना भी
ऐसा ही है।
You know that sneeze
that stops midway
just to demand
complete attention?
Where you have to stop doing
or saying
Whatever it is that you were
saying or doing?
Yeah, some poems
come to the head
in the same way.
2 comments:
सही है, कविता अपनी मर्ज़ी से आती है
Ji :)
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