Thursday, May 19, 2022

Din, Din, Aur Din

आम दिन 

वक्त की चाशनी में पड़ कर 

बन जाते हैं 

मीठी यादें 


बुरे दिन 

वक़्त के सहफ़ों पर पड़ कर 

बन जाते हैं 

किताबें 


अच्छे दिन 

वक़्त की सीप में पड़ कर 

बन जाते हैं 

कीमती मोती 


केवल स्वयं को छलने के दिन 

वक़्त की धूप में झुलस कर 

बन जाते हैं 

सांस की फांस। 


No comments: